Wednesday 5 November 2014

जाने कला धन का पूरा मामला:-

इस रिपोर्ट से समझिए काले धन का पूरा खेल


  • काले धन को लेकर पूरे देश में इन दिनों चर्चाएं हैं. ब्लैक मनी पर एक नए कानून की आमद ने स्विस बैंकों में खलबली मचा दी है. आपको बताते हैं, कैसे खोला जाता है स्विस बैंक में खाता और क्या है काले धन का पूरा खेल.



काले धन के मुद्दे पर एनडीए सरकार का अब तक का रवैया इस बात का साफ संकेत है कि नई दिल्ली की नई सरकार ने अपनी पूर्ववर्ती सरकार के अनुभवों से कोई सबक नहीं लिया है. यूपीए सरकार 2009 से पांच साल तक उन 18 लोगों के पीछे पड़ी रही जिनके खाते मध्य यूरोप के नन्हे-से देश लिशटेंस्टाइन के एलजीटी बैंक में थे. लेकिन इस साल अप्रैल में सत्ता से हटने के कुछ हफ्ते पहले जब वह सुप्रीम कोर्ट के सामने खाताधारकों के नाम का खुलासा करने गई तो उसके हाथ पूरी तरह खाली थे.

महीनेभर बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार ने विदेशी बैंकों में जमा काला धन वापस लाने के चुनावी वादे को पूरा करने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआइटी) के गठन की घोषणा की. सरकार ने अब उन 627 लोगों के नामों की सूची सुप्रीम कोर्ट में सौंपी है, जिनके खाते कथित रूप से जेनेवा के एचएसबीसी बैंक में हैं और एसआइटी—जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआइ) और सीबीआइ जैसी एजेंसियों के अधिकारी हैं—ने यह डर पैदा कर दिया है कि वह उन कठोर कानूनों को वापस ला सकती है जो पैसों की आवाजाही और निवेश पर अंकुश लगाते रहे हैं और व्यापार की राह में रोड़ा बनते रहे हैं.

गौर तलब है कि एसआइटी ने प्रवर्तन निदेशालय के उस प्रस्ताव का समर्थन किया है, जिसमें 1999 के विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) में संशोधन की पेशकश की गई है, ताकि निदेशालय विदेश में काला धन रखने वाले व्यक्ति की उतनी ही कीमत की संपत्ति भारत में जब्त कर सके. हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) इस प्रस्ताव के खिलाफ है, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि इससे काला धन जमा करने वाले संभावित लोगों में खौफ पैदा होगा, क्योंकि इस समय फेमा के प्रावधान लचीले हैं.

एसआइटी ने डीआरआइ से बिजली के उपकरणों के बढ़ा-चढ़ाकर बनाए गए या कम करके दिए गए संदिग्ध बिल पर ध्यान देने को कहा है. माना जाता है कि काले धन को सफेद बनाने के लिए महंगे उपकरणों के फर्जी बिलों का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों को डर है कि इससे इस उद्योग की राह अवरूद्घ होगी, जिसका विकास नई सरकार की औद्योगिक वृद्धि की योजना में काफी अहम है.


और भी... http://aajtak.intoday.in/story/shadows-of-control-1-786109.html;-

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